सूत्रों की मानें तो ऐसा माना जा रहा है की आप तीन घंटे की फिल्म अब मात्र तीन सेंकेंड में डाउनलोड कर पाएंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे देश में 5जी सर्विस को लॉन्च कर दिया गया है। दिल्ली के प्रगति मैदान में इसके लिए मंच भी सजाया गया। मगर इसमें अहम योगदान हजार किलोमीटर दूर बसे पटना शहर की रही है।
आने वाले दिनों में पटनावासी इस जबरदस्त इंटरनेट स्पीड का आनंद उठा पाएंगे। 5G को लेकर पटना मॉडल की चर्चा पूरे देश में है। 5G टेक्नोलॉजी को सपोर्ट करने के लिए बड़ी संख्या में टेलिकॉम टावर्स की जरूरत पड़ी, उन्हें लोकेट करने के लिए सरकार ने पटना मॉडल बनाया है।
पीएम गतिशक्ति योजना के तहत इसे निर्माण किया जा रहा है। और इसका मुख्य मकसद है इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार लाना है। आने वाले समय में यह सर्विस लोगों के लिए कॉमन हो जायेगी।
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5G के लिए कुछ ऐसे तैयार हुआ पटना मॉडल
आपको बता दें कि पूरे देश में 5G लागू करने के लिए लोकेशंस की पहचान के लिए एक प्लान बनाया जा रहा है। इसमें पटना को भी चुना गया है। पटना शहर में 2,333 टावर लगवाने हैं। इस कार्य को पूरा करने के लिए पूरे शहर को 200 स्क्वायर मीटर के ग्रिड में बांटा गया है। एनालिसिस के बाद यह पता चला है कि 1517 टावर से पूरा ग्रिड को कवर कियाबजा सकता है।
इसकी सर्विस को और दुरुस्त करने के लिए टावर की संख्या को दोगुना किया जाएगा। 2G और 3G में ऐसा नहीं था लेकिन 5G के लिए टेलिकॉम डिपार्टमेंट और ऑपरेटर्स को कई छोटे-छोटे टावर लगाने हैं।
पटना मॉडल से पूरे देश को मिला लाभ
यदि हम रिपोर्ट्स पर एक नजर डालें तो वर्ष 2021 के अंत तक देश में 6.5 लाख टावर थे लेकिन 5G के लिए इनकी संख्या को और बढ़ने की जरूरत होगी। 5G के लिए ज्यादा ट्रांसमिशन पॉइंट्स, बेस स्टेशंस और स्मॉल सेल्स भी शामिल किया गया हैं।
आपको बता दें कि कई राज्यों ने 5G के स्मूद रोलआउट के लिए कमेटी भी बनाई है। इनमें दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और नगालैंड शामिल हैं। फिलहाल पटना के मोबाइल की 5G टेक्नोलॉजी के साथ जुड़ने की संभावना नहीं है।
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