High Court New Order: बहू की झिकझिक पर हाईकोर्ट ने सास ससुर को दिया ये बड़ा अधिकार, जानें डिटेल्स

हाल ही में हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है, जो कई परिवारों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत बहू को संयुक्त परिवार के घर में रहने का स्वतः अधिकार नहीं है। अगर सास-ससुर घर के मालिक हैं और वे अपने शांतिपूर्ण जीवन के लिए ऐसा करना चाहें, तो वे कानूनी रूप से बहू को घर से निकाल सकते हैं।

यह फैसला न्यायमूर्ति योगेश खन्ना द्वारा दिया गया, जब वे एक मामले की सुनवाई कर रहे थे जिसमें बहू ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील की थी। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि संपत्ति सास-ससुर की है, तो वे यह तय कर सकते हैं कि कौन उसमें रह सकता है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि यदि बहू की शादी जारी है, तो उसे वैकल्पिक आवास मुहैया कराया जाना चाहिए ताकि वह सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जी सके। 

क्यों झेले सास-ससुर बहू-बेटे की कलह? जानिए

हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि वृद्ध सास-ससुर को शांतिपूर्ण जीवन जीने का पूरा अधिकार है। न्यायमूर्ति योगेश खन्ना ने स्पष्ट किया कि बहू-बेटे के बीच की झगड़ेबाजी का मानसिक बोझ बुजुर्ग माता-पिता पर नहीं पड़ना चाहिए।

उन्होंने यह भी माना कि अगर वैवाहिक संबंध तनावपूर्ण हैं, तो सास-ससुर के लिए बहू के साथ रहना उचित नहीं होगा। कोर्ट ने घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम की धारा 19(1)(एएफ) के तहत आदेश दिया कि बहू को वैकल्पिक आवास प्रदान किया जाए, ताकि सभी पक्षों की गरिमा और शांति बनी रहे।

क्या घरेलू हिंसा कानून पर हाई कोर्ट का फैसला

हाई कोर्ट ने हाल ही में घरेलू हिंसा कानून के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। अदालत ने कहा कि अगर पति-पत्नी के रिश्ते तनावपूर्ण हैं और पति ने भी अपनी पत्नी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है, तो ऐसे में सास-ससुर को जबरन बहू के साथ रहने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।

न्यायमूर्ति ने स्पष्ट किया कि घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा-19 के तहत बहू को संयुक्त परिवार में रहने का अधिकार हर स्थिति में लागू नहीं होता, खासकर तब जब वह बुजुर्ग सास-ससुर के खिलाफ खड़ी हो।अदालत ने यह भी माना कि सास-ससुर, जिनकी उम्र  74 और 69 वर्ष है, अपने जीवन के इस पड़ाव पर शांति से जीने का पूरा हक रखते हैं। 

क्या हाई कोर्ट के फैसले से बहू को मिलेगा अलग मकान जानिए 

हाई कोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसले में याचिकाकर्ता बहू की अपील को खारिज कर दिया और ससुर द्वारा दिए गए हलफनामे को मान्यता दी। अदालत ने स्पष्ट किया कि ससुर, जो संपत्ति के पूर्ण मालिक हैं, बहू को उसके वैवाहिक संबंध जारी रहने तक वैकल्पिक आवास प्रदान करेंगे।

यह फैसला बुजुर्ग सास-ससुर के शांतिपूर्ण जीवन जीने के अधिकार को प्राथमिकता देता है।यह मामला 2016 में तब शुरू हुआ जब ससुर ने निचली अदालत में यह कहते हुए मुकदमा दायर किया कि संपत्ति उनकी स्वयं की अर्जित संपत्ति है और उनके बेटे ने अपने परिवार के साथ कहीं और रहने का निर्णय लिया है। इसलिए, वे अपने घर में शांति से रहना चाहते हैं।

वहीं, बहू ने दावा किया कि यह संपत्ति संयुक्त परिवार की पूंजी से खरीदी गई है और पैतृक संपत्ति की बिक्री से प्राप्त धन का उपयोग इसमें किया गया है, इसलिए उसे वहां रहने का अधिकार है। हालांकि, निचली अदालत ने ससुर के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि यह उनकी व्यक्तिगत संपत्ति है, न कि पैतृक संपत्ति। इस फैसले से यह साफ हो गया है कि यदि संपत्ति किसी की व्यक्तिगत अर्जित संपत्ति है, तो वह यह तय करने का अधिकार रखता है कि उसमें कौन रह सकता है। 

From (Patna, Bihar) Rahul is the founder of blog vyaparkaro.com. Computer Science Engineer and Passionate Blogger. Rahul has got over 8+ years of experience with Technology and Automobile. He runs multiple online publications in India. You can contact him at [email protected]

Leave a Comment