Why Sahara Business Stopped in Loss: सहारा इंडिया के संस्थापक सुब्रत राय का 75 वर्ष में निधन हो गया है ऐसे में उसके मौत के बाद काफी बड़ा खुलासा हुआ है। उनके मौत के बाद अभी हम मालूम चल गया है कि आखिर क्यों सहारा इंडिया का इतना बड़ा साम्राज्य एकदम झटके से डूब चुका था। एक समय पर सबसे पिक पर चल रहे शहर का बिजनेस एकदम से नीचे धड़ाम से क्यों गिरा था इसे लेकर भी खुलासा किया गया है।
देखा जाए तो सुब्रत राय की जर्नी काफी उतार-चढ़ाव वाली रही है। दिहारी मजदूर को बचत की सीख देने वाले सुब्रत राय आज इस दुनिया में नहीं रहे। लोगों के मन में तो अभी यह भी सवाल आ रहा है कि क्या उनके मौत के बाद सहारा इंडिया में जिन भी निवेशकों का पैसा फंसा हुआ था वह डूब जाएंगे क्या उन्हें वापस रिफंड नहीं मिल पाएगा।
सहारा बिजनेस डूबने का कारण
हाल ही में या रिपोर्ट जारी किया गया है कि किस वजह से शहर बिजनेस पूरी तरीके से डूब चुका था। दरअसल रिपोर्ट में यह मामला सामने आया है कि सुब्रत राय के सितारे प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव IPO की चाहत की वजह से गर्दिश में है। वर्ष 2009 में सेबी को IPO के लिए आवेदन मिला। इस समय यह आवेदन देने वाली कंपनी सहारा समूह की सहारा प्राइम सिटी थी।
सहारा के पतन की शुरुआत
इसके साथ ही अगले महीने अक्टूबर 2009 में सहारा समूह की दो और कंपनियों सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड ने भी रजिस्टर के पास आईपीओ की अर्जी कर डाली। बाजार में एक साथ तीन आईपीओ के साथ सहारा समूह शेयर बाजार में एंट्री करने की छह रख रहा था। लेकिन किसी को यह कहां पता था और अंदाजा था कि शहर के इस फैसले उनकी पूरी नजर डूबा डालेगी।
कैसा रहा सहारा की जर्नी
एक समय में क्रिकेट के मैदान पर टीम इंडिया की जर्सी हो या फिर आसमान में उड़ती हुई एयरलाइन हर तरफ शहर ही नजर आता था। सहारा के जलवे पूरे भारतवर्ष के साथ साथ विदेशों में भी फैले हुए थे। अब बता दे चले कि सहारा ने रियल एस्टेट, मीडिया, एंटरटेनमेंट, एविएशन, होटल, फाइनेंस समेत कई बड़े-बड़े सेक्टर में अपना वर्चस्व कायम कर रखा था।
छोटे-छोटे वर्गों को सहारा ने अपनी तरफ आकर्षक ब्याज देकर अट्रैक्ट करना शुरू किया था और गरीब लोगों का भरोसा जीत लिया। इसके बाद सहारा ने शेयर बाजार में एंट्री किया वहां पर यह पूरी तरीके से तीन आईपीओ एक साथ लॉन्च करने के चक्कर में फेल हो गया। शहर का मकसद था कि किसी तरह से बाजार में एंट्री लिया जाए लेकिन यहीं से मामला पूरी तरीके से बिगड़ता चला गया।
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